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नियम व विनियम > आरोग्यम्-आहार पत्रक

Nature Cure & Yoga, Aarogyam, Hospital, Nagpura

आरोग्यम् - आहार पत्रक

>> सुबह सोकर उठते ही बिस्तर पर लेटे ही लेटे दोनों हथेली जोड़कर इष्ट परमात्मा का दर्शन करें। फिर देखें की नाक का कौन से सुर चल रहा है। उदाहरण के लिए मान लीजिए नासिका का दायां सुर चल रहा है तो दायें हाथ से भूमि का रक्ष माँ देवि पद्ये कहते हुए स्पर्श कर प्रणाम कीजिए, फिर वही पैर जमीन पर रखकर उठिए और अपना कार्य कीजिए।
>> हर क्रिया ऊँ के साथ करें।
>> प्राणायाम, योगासन अथवा घूमना या कोई भी खेल खेलना, तैरना, बागवानी, सूर्य नमस्कार, योग निद्रा।




>> पूर्व दिशा में मुँह करके कागासन में सूर्योदय के 48 मिनट बाद सवा लीटर पानी पिफर राजारानी आसन करें 50-50 बार तीनों प्रक्रियाएं।
>> प्रक्षाल पूजा
>> नाश्ता-अंकुरित आहार, सलाद, फलाहार, रसाहार, भीगा ड्रायफ्रूट।
>> चटनी-खोपरा, इमली, धनिया, पुदीना, अदरक, लहसून आदि की।
>> दूध (जूस) - नारियल, तिल, सिंगदाना, सोयाबीन, बादाम, खसखस, चोकर चाय, पालक चाय।
>> जूस-नीबू पानी संतरा, मौसंबी, अनानास, आंवला, खीरा, लौकी, गाजर, मूली, पालक, टमाटर चुकंदर का जूस लें।
>> काढ़ा-गुड़, सोठ (अदरक), तुलसी, पुदीना, नीबू का गर्मागर्म काढ़ा पीना।
>> भोजन-सलाद, बड़ी कटोरी पत्ते वाली भाजी, हरी रोटी, लाल रोटी, खट्टी रोटी, मीठी रोटी, अंकुरित बिना तेल, घी की सब्जियाँ।
>> मिठाई-नारियल खजूर की बर्फी, तिल चोकर बर्फी, गुड़ धनिया की पंजरी, अंजीर, बादाम पिस्ता की बर्फी।
>> दोपहर - बिना नमक शक्कर के जूस या सूप।
>> संध्या - मौसमी फल, रसाहार, भिगोया ड्रायफूट, अंकूरित, सलाद आदि। या सलाद, अंकुरित सब्जी, आटा ... चोकर की चपाती, भाजी एवं उबली सब्जियाँ।
>> काढ़ा - रात्रि में भूख लगने पर काढ़ा ले।
>> कैसे ले - आलू ... भाजी, बेसन साबूत चने का, चाँवल (दाल ......भाजी के साथ)
>> वर्जित - डबल रोटी, बिस्किट, चाय, काफी, चाकलेट, आइसक्रिम, मैदे की बनी सामग्री, मसालेदार सब्जियाँ नशीले पदार्थ।

>> खाने के 1 घंटा पूर्व अथवा 3 घंटा बाद पेट गर्म करके ठंडे पानी में कपड़े की पट्टी भिगों-निचोड़कर लपटें ऊपर प्लास्टिक या शाल या फलालेन के पट्टी लपेटें आधा घंटे के लिए।
>> पैर पानी में 10 मि. रखना, तलवा घर्षण तलवा मालिश, आँखों में गीला नेपकीन रखें तेलनेति, नाक और नाभि में 5-5 बूँदे खाने का तेल डालें।
>> प्रतिदिन दिन में ४ बार 30-30 बार भुंजगनि मुद्रा करना और दिन में 2 बार २५०-२५० बार मूलबन्ध लगाना है ।
रात्रि को सोते समय भस्त्रिका प्राणायाम अनथक करके श्वास सामान्य करके प्रभु का आभार माने कि आज का दिन बहुत आनंदपूर्वक बिताया, आज की रात भी आपके हवाले फिर हर बार श्वास को आज्ञा चक्र के प्रभु को अर्पण करे।